मौजूदा नगर निकाय चुनाव को भाजपा लोकसभा चुनाव की अपनी तैयारी के रूप में ले रही है। उत्तर प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों के मुताबिक इस चुनाव में भगवा पार्टी सामान्य सीटों पर ओबीसी समुदाय से उम्मीदवारों को टिकट दे सकती है। इसके अलावा जिन इलाकों में मुस्लिमों की संख्या ज्यादा है उन सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की योजना है।
इस बार दो चरणों में 4 और 11 मई को होंगे चुनाव।
: उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव दो चरणों में होने जा रहा है। राज्य में 4 और 11 मई दो चरणों में मतदान होगा और चुनाव नतीजे 13 मई को आएंगे। भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस सभी चुनाव मैदान में हैं। सभी दलों के लिए यह चुनाव काफी अहम है। सभी राजनीतिक दल एक तरह से लोकसभा चुनाव से पहले अपनी तैयारी परखना चाहते हैं। इस चुनाव में मिली जीत बढ़त दिलाने के साथ-साथ स्थानीय स्तर के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने का काम करेगी। चुनाव के लिए ये दल अपनी-अपनी रणनीति पर काम कर रहे हैं। खासकर भाजपा और सपा बड़ी जीत दर्ज करने की योजना पर काम कर रहे हैं।
भाजपा
मौजूदा नगर निकाय चुनाव को भाजपा लोकसभा चुनाव की अपनी तैयारी के रूप में ले रही है। उत्तर प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों के मुताबिक इस चुनाव में भगवा पार्टी सामान्य सीटों पर ओबीसी समुदाय से उम्मीदवारों को टिकट दे सकती है। इसके अलावा जिन इलाकों में मुस्लिमों की संख्या ज्यादा है उन सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की योजना है। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित पार्टी के शीर्ष नेताओं की हुई एक बैठक में इस बारे में सहमति बनी। भाजपा ने फैसला किया है कि नगर निकाय चुनाव में वह मंत्रियों, सांसदों एवं विधायकों के परिवार से किसी को टिकट नहीं देगी। पार्टी स्थानीय नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को संदेश देना चाहती है कि वह सभी का सम्मान करती है। मंत्रियों, सांसदों एवं विधायकों के परिवार के लोगों को टिकट दिए जाने से स्थानीय नेता एवं कार्यकर्ता निराश हो सकते हैं और उनका मनोबल गिर सकता है। ऐसे में भाजपा लोकसभा चुनावों से पहले कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती।
समाजवादी पार्टी
विधानसभा चुनाव में हार के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) पूरे दम-खम के साथ नगर निकाय चुनाव लड़ रही है। यह चुनाव सपा, राष्ट्रीय लोकदल और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (एएसपी) साथ मिलकर लड़ रही है। सपा अध्यक्ष अखिलेश इस चुनाव में दलितों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में हैं। आजाद के साथ आने से सपा को उम्मीदें जगी हैं। राज्य में करीब 20 प्रतिशत दलित आबादी है। अखिलेश को लगता है कि आजाद के आने से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दलित वोट बैंक में सेंधमारी हो सकेगी। हालांकि, स्थानीय स्तर पर यह गठबंधन कितना असरदार होगा, यह देखने वाली बात होगी।
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