October 7, 2024

प्रदेश के स्कूलों में 40 हजार पद खाली

रायपुर। प्रदेश के मतदाताओं ने विधानसभा चुनाव में 76.33 प्रतिशत मतदान कर लोकतंत्र के प्रति अपने कर्तव्यों को निभा दिया है। नई सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। अब बारी भावी सरकार की होगी कि वह मतदाताओं के मुद्दों को पूरी गंभीरता के साथ समझे और उन्हें पूरा करते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। पहली प्राथमिकता में हमने शिक्षा को चुना है। इसमें प्री स्कूल से लेकर स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा और कृषि शिक्षा में जरूरतों को जोड़ा है। प्रदेश में ना सिर्फ अच्छे शिक्षकों की जरूरत है, बल्कि शिक्षा की अधोसंरचना को भी मजबूत करने की दरकार है। प्रदेश में आज भी 80 प्रतिशत बच्चों को प्री प्राइमरी की शिक्षा नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा स्कूली शिक्षा से ही रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों की भी कमी है। ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक बदलाव की आवश्यकता महसूस की जा रही है। प्रदेश में 56 हजार 512 स्कूल हैं, जहां करीब 60 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। प्रदेश के करीब छह हजार स्कूलों में प्री नर्सरी की तर्ज पर बालवाड़ी संचालित हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार हर विद्यार्थी के लिए बालवाड़ी की जरूरत है। यहां शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति करने की जरूरत है। प्रदेश में राज्य स्तर पर प्री प्राइमरी इंस्टीट्यूट नहीं है जो कि प्री नर्सरी के बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दे सके। प्रदेश के सभी 32 हजार 723 प्राइमरी स्कूलों में बालवाड़ी की जरूरत है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 10 2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म करके 5 3 3 4 फार्मेट में ढाला जाना है। इसके अनुसार प्री प्राइमरी के लिए तीन साल और कक्षा एक व दो को फाउंडेशन स्टेज माना गया है। इसे मजबूत करने की दरकार है। इसके बाद कक्षा तीन से पांच तक, फिर छह से आठ और चौथे स्टेज में नौवीं से 12वीं तक की शिक्षा शामिल है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार 2030 तक शत-प्रतिशत स्कूलों को व्यावसायिक शिक्षा से जोड़ने का लक्ष्य है। प्रदेश में अभी तक 592 हायर सेकेंडरी स्कूलों में 10 ट्रेड के लिए व्यावसायिक शिक्षा दी जा रही है। इनमें आइटी, आटोमोबाइल, एग्रीकल्चर, ब्यूटी एंड वेलनेस, रिटेल, पीएफएसआइ, टेली कम्युनिकेशन, इलेक्ट्रानिक्स एंड हार्डवेयर मीडिया एंड एंटरटेनमेंट और हेल्थ केयर शामिल हैं। स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों के खुलने से अभिभावकों का सरकारी स्कूलों के प्रति आत्मविश्वास भी बढ़ा है। दिन-ब-दिन शैक्षणिक व्यवस्था की हालत तो सुधर रही है मगर जर्जर स्कूल भवन और शिक्षकों की कमी अब भी बड़ा चुनावी मुद्दा बना हुआ है। राज्य शासन द्वारा वर्ष 2019 में 14 हजार 580 शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया पूरी करने के बाद 11 हजार शिक्षक स्कूल पहुंचे हैं। अभी भी 12,489 शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया जारी है। इसके बाद भी स्कूल शिक्षक विहीन या फिर एकल शिक्षकीय व्यवस्था में चल रहे हैं। नतीजा यह हो रहा है कि विद्यार्थियों को पढ़ाई भी छोड़नी पड़ रही है। लोक शिक्षण संचालनालय के आंकड़ों की मानें तो प्रदेश के करीब चार हजार स्कूल आज भी शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय हैं। वहीं प्रदेश के 30 हजार स्कूल भवन जर्जर हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत 8,000 से अधिक स्कूलों में 2,100 करोड़ रुपये की लागत से मरम्मत व कायाकल्प कराया है, मगर जर्जर स्कूल भवनों का मुद्दा अभी बरकरार है।

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